एक तरफ पिता की अर्थी, “दूसरी तरफ देश के लोकतांत्रिक कर्तव्य …”ड्यूटी के दौरान पिता की हुई मौत, बेटे ने फिर भी निभाया चुनाव में अपना फर्ज..

कोरबा जिले के उरगा थाना क्षेत्र के देवरमाल गांव में एक दु:खद घटना के साथ एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है. देवरमाल निवासी बजरंग पटेल सीढ़ियों से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. इस बीच मृतक के पुत्र चूड़ामणि पटेल ने एक ऐसा कार्य किया, जिसकी पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है. दरअसल चूड़ामणि की ड्यूटी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगी हुई थी. जब उन्हें अपने पिता की मृत्यु की खबर मिली, तो वे गहरे शोक में डूब गए. एक तरफ पिता के अंतिम दर्शन की व्याकुलता थी, तो दूसरी तरफ देश के लोकतांत्रिक कर्तव्य का पालन करने की जिम्मेदारी थी.
कर्तव्य को रखा सबसे ऊपर चूड़ामणि ने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हुए तत्काल अपने परिवार को संदेश भिजवाया कि वे निर्वाचन कार्य में व्यस्त हैं और उनकी अनुपस्थिति में अंतिम संस्कार न किया जाए. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक वे अपनी ड्यूटी पूरी कर घर नहीं पहुंचते, तब तक उनके पिता का अंतिम संस्कार न किया जाए. यह सुनकर परिजन भावुक हो गए, लेकिन उन्होंने चूड़ामणि के निर्णय का सम्मान किया. गांव और आसपास के लोग भी उनकी इस निष्ठा को देखकर स्तब्ध थे. एक तरफ पिता का पार्थिव शरीर घर में रखा हुआ था और दूसरी तरफ चूड़ामणि अपने फर्ज को निभाने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में डटे रहे.
काम पूरा कर पहुंचे घर अंततः जब चूड़ामणि ने अपना निर्वाचन कार्य पूरा किया, तो वे घर पहुंचे. पिता का चेहरा देखते ही उनकी आंखें छलक उठीं. लेकिन उन्होंने खुद को संभाला. आज जब बजरंग पटेल की अंत्येष्टि हुई, तो हर किसी की आंखों में आंसू थे. गांव के लोगों ने चूड़ामणि की हिम्मत और कर्तव्यपरायणता की जमकर सराहना की. लोगों का कहना है कि चूड़ामणि पटेल की यह कहानी समाज के लिए एक प्रेरणा है. यह दर्शाता है कि जब इंसान के सामने कर्तव्य और निजी जीवन का संघर्ष आता है, तो वह किसे प्राथमिकता देता है. चूड़ामणि ने अपने फैसले से यह साबित कर दिया कि सच्ची जिम्मेदारी वही होती है, जो किसी भी परिस्थिति में न डगमगाए.