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मनरेगा तालाब राखड़ में दफन,आखिर किसको बचाने की कोशिश हो रही…..

कोरबा। जिले के कोरबा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत बरीडीह के धनवार पारा में पूरा का पूरा मनरेगा तालाब मनरेगा के अधिकारियों से लेकर पंचायत के प्रतिनिधियों ने मिलकर डकार लिया। यहां या तो तालाब का निर्माण हुआ ही नहीं और हुआ भी है तो उसे राखड़ पटवा कर, शिलापट्टिका उखड़वा कर अस्तित्व ही खत्म कर दिया गया और तालाब निर्माण के लगभग 13 लाख रुपए की बंदरबांट कर ली गई। इसकी जांच के बाद कई कलेक्टर बदल गए लेकिन आंच किसी पर नहीं आई, जबकि यह मामला उस समय 15 जुलाई 2022 को कोरबा प्रवास पर आए केंद्रीय पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह के भी संज्ञान में लाया गया था।
बड़ा सवाल यह है कि कलेक्टर-जिला पंचायत सीईओ तो इस बीच बदलते रहे लेकिन इस मामले की फाइल को अन्ततः दबा दिया गया। लोग जानने को आतुर है कि आखिर वो कौन हैं जिनके खातिर 13 लाख का तालाब भेंट चढ़ा दिया गया और उफ्फ तक न की गई।

इसी तरह पिछले दिनों ही एक शिकायत हुई है जिसमें पाली विकासखंड के ग्राम कुटेलामुड़ा में मनरेगा के करीब 10 लाख रुपए की लागत से निर्मित तालाब को पाट कर खेत बना दिया गया है। मनरेगा के अलावा वन विभाग द्वारा जंगलों में निर्मित कराए गए तालाबों में भी बड़ा झोलझाल है जिसमें एक चर्चित मामला कटघोरा वनमंडल के तुमान वन परिसर अंतर्गत कुटेशरनगोई में फर्जी मजदूरों के जरिए निर्माण करा कर 12 लाख रुपए से भी अधिक की रकम वन कर्मी प्रद्युम्न सिंह द्वारा अपने ही नाते रिश्तेदारों के खाता में जमा करने का सामने आया। इसमें कार्यवाही के नाम पर काफी लीपा-पोती हुई है।

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