मानवता के नाते मंत्री जी ने सभापति को दी बधाई, क्या इसी बात को लेकर मंत्री जी को किया जा रहा टारगेट… भाजपा में उथल-पुथल.. जाने क्या है पूरा माजरा

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव संपन्न हुए जिसमें भाजपा पार्षदों ने बाजी मारते हुए कुल 67 वार्ड में 45 पर अपनी जीत मुकर्रर की, तो वहीं कांग्रेस के 11 व निर्दलीय के भी 11 वार्डों में जीत हासिल हुई।
इसी कड़ी में बीते 8 मार्च दिन शनिवार को नगर पालिका निगम कोरबा के सभागार में सभापति हेतु चुनाव की तिथि तय की गई जहां पर भाजपा की तरफ से हितानंद अग्रवाल ने बतौर सभापति प्रत्याशी अपना परिचय दाखिल किया, तो वहीं भाजपा के टिकट से ही जीत हासिल किए हुए पार्षद नूतन सिंह ठाकुर ने भी बतौर बागी प्रत्याशी यानी की निर्दलीय के तौर पर उन्होंने अपना भी पर्चा दाखिल किया। वहीं निर्दलीय के ही तौर पर इसी दौड़ में अब्दुल रहमान ने भी अपनी दावेदारी पेश की। तदुपरांत इसमें अब्दुल रहमान को कुल 16 मत, हितानंद अग्रवाल को कुल 18 मत ही प्राप्त हो सके और नूतन सिंह ठाकुर को कुल 33 मत प्राप्त हुए, जिसके आधार पर उन्हें बतौर सभापति विजई घोषित कर दिया गया। तदुपरांत श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने मीडिया से चर्चा के दौरान विजयी प्रत्याशी नूतन सिंह ठाकुर को मानवता के नाते व अपनी साफ सुथरी व सीधे-साधे छवि के हाथों विवश होकर बधाई दे डाली। अब संभवत: इसी बधाई का गलत तरीके से अर्थ निकलते हुए मंत्री लखन लाल देवांगन को टारगेट किया जा रहा है कि कहीं ना कहीं आपकी इसमें सहमति थी और आप चाहते थे कि हितानंद अग्रवाल को हार का मुंह देखना पड़े।
बहरहाल सच्चाई चाहे जो भी हो किंतु यह तो यह तो सच है कि सभापति के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हिताआनंद के हार ने भाजपा के खेमे में उथल-पुथल अवश्य मचा दी है। हालांकि इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी की पूरी पैनी नजर बनी हुई है। तो वहीं इस मामले में बागी हुए नूतन सिंह ठाकुर को भाजपा ने पार्टी से 6 वर्षों हेतु निलंबित कर दिया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ मंत्री लखन लाल देवांगन को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी की यदि बात की जाए तो साफ सुथरी पार्टी और विश्व के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी इस पार्टी में निसंदे: किसी प्रकार का पक्षपात देखने को प्राप्त नहीं हुआ है। इस मामले में भी दूध का दूध और पानी का पानी करने का भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी ने कमर कस ली है और पार्टी के जिस व्यक्ति के द्वारा पार्टी के पदाधिकारीयों व प्रभारीयों की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है, पार्टी उसके विषय में भी अवश्य मंथन कर रही होगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर सभापति का चुनाव विषय कितना तुल पकड़ता है और क्या कुछ निकल कर सामने आता है। किंतु इस पूरे घटनाक्रम में यह तो सच है कि भाजपा पार्टी के खेमे में इन दिनों निहायत ही उथल-पुथल व दो फाड़ की स्थिति निर्मित हो चली है। क्या इसे कुछ लोगों की गलतफहमी समझा जाए या कुछ और।
बहरहाल इस गंभीर विषय को पार्टी के वरिष्ठ प्रभारी व जिम्मेदार कार्यकर्ता किस तरह से लेते हैं और इसे किस परिणाम तक पहुंचाते हैं वह देखने वाली बात होगी।